मंजिल की भी हसरत थी और उससे महोब्बत
भी थी,
ऐ दिल तुही बता उस समय कहा जाते
मुद्दत का सफ़र भी था और बचपन का वो
हमसफ़र भी था
चलते तो उससे बिछड़ जाते और रुकते तो
बिखर जाते,बस यु समझलो प्यास लगी थी
गजब की और पानी में जहर था,पीते तो भी
मरना था ना पीते तो भी मरना था,
हवा का रुख भी था और हवा बेरुखी भी थी
कभी हवा में बू भी थी तो कभी हवा बू थी,
बस यही दो लम्हे जिंदगी के हल ना हुवे
ना नींद पूरी हुई ना ख्वाब पुरे हुवे,
वक्त ने कहा थोडा सब्र होता और सब्र ने
कहा थोडा वक्त और होता,