मैंने नहीं देखा है कभी पापा को
माँ के लिए गिफ्ट खरीदते देते हुए
और न ही
गुलाब के फूल को
माँ के बालों में सहेजते हुए
लेकिन मैंने देखा है पापा को
किचन में रोटियाँ बनाते हुए
और माँ की परवाह करते हुए
और मैंने जाना है
प्रेम की पूर्णता जताने से नहीं
बल्कि एक-दूसरे के लिए जीने से होती है
पंक्तियाँ : पिंकी गुप्ता