Saturday, November 18, 2023

तुम्हारा मिलना

तुम्हारा मिलना
जैसे किसी बच्चे को
उसका मनपसन्द खिलौना मिल जाना

जैसे बारिश के बाद
मिट्टी की सौंधी खुशबू

जैसे शरद पूर्णिमा के
अमृतमयी चांद का दिख जाना

जैसे किसी नवविवाहिता के
मांग पर सुर्ख सिंदूर

जैसे किसी किशोरी को
उसके प्रेमी का पहला स्पर्श
महसूस होना

जैसे अमावस की रात
लाखो दियों का जगमगाना

जैसे माँ ने खुश होकर
बारम्बार चूम लिया हो माथे को

जैसे रेगिस्तान के मुसाफिर को
दिख गया हो जलस्त्रोत

जैसे श्रीकृष्ण का मुरली
के तानों की छेड़ देना

जैसे किसी बेजान जिस्म में
नई सांसो का प्रवाह होना

तुम्हारा मिलना
जैसे मेरे अस्तित्व का मिल जाना|