तुम्हारा मिलना
जैसे किसी बच्चे को
उसका मनपसन्द खिलौना मिल जाना
जैसे बारिश के बाद
मिट्टी की सौंधी खुशबू
जैसे शरद पूर्णिमा के
अमृतमयी चांद का दिख जाना
जैसे किसी नवविवाहिता के
मांग पर सुर्ख सिंदूर
जैसे किसी किशोरी को
उसके प्रेमी का पहला स्पर्श
महसूस होना
जैसे अमावस की रात
लाखो दियों का जगमगाना
जैसे माँ ने खुश होकर
बारम्बार चूम लिया हो माथे को
जैसे रेगिस्तान के मुसाफिर को
दिख गया हो जलस्त्रोत
जैसे श्रीकृष्ण का मुरली
के तानों की छेड़ देना
जैसे किसी बेजान जिस्म में
नई सांसो का प्रवाह होना
तुम्हारा मिलना
जैसे मेरे अस्तित्व का मिल जाना|